“मुस्लिम देश दें ज़मीन फ़लस्तीन को” – हकाबी का बम!

अजमल शाह
अजमल शाह

इसराइल में अमेरिका के राजदूत माइक हकाबी ने फ़लस्तीनी राष्ट्र की स्थापना को लेकर एक विवादास्पद सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम देशों को अपनी कुछ ज़मीन फ़लस्तीन को देनी चाहिए ताकि अलग राज्य का गठन संभव हो सके।

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“मुस्लिम देशों के पास है ज़्यादा ज़मीन”

हकाबी ने अपने बयान में कहा:

“मुस्लिम देशों के पास इसराइली नियंत्रण वाली ज़मीन से 644 गुना अधिक भू-भाग है। अगर दुनिया फ़लस्तीन को राष्ट्र बनते देखना चाहती है, तो कोई तो ऐसा देश होगा जो ज़मीन देने को तैयार हो।”

उनके अनुसार यह एक तर्कसंगत समाधान हो सकता है, जिससे क्षेत्रीय विवाद को सुलझाने में मदद मिल सकती है।

टू-स्टेट सॉल्यूशन को बताया बेहतर विकल्प

राजदूत हकाबी ने टू-स्टेट सॉल्यूशन (दो राष्ट्र समाधान) का समर्थन करते हुए कहा कि यह न केवल अमेरिका बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी सर्वमान्य प्रस्ताव है।

“हम मानते हैं कि इसराइल और फ़लस्तीन दोनों को शांति और स्थायित्व के लिए दो संप्रभु राष्ट्रों के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए।”

सहयोगी देशों की आलोचना

इंटरव्यू के दौरान हकाबी ने ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के अन्य सहयोगियों की भी आलोचना की, जिन्होंने वेस्ट बैंक में हिंसा भड़काने के आरोप में इसराइल के दो मंत्रियों पर प्रतिबंध लगाए

“यह एकतरफा कार्रवाई है, जो जमीनी हकीकत को नहीं समझती,” उन्होंने कहा।

क्या यह समाधान व्यावहारिक है?

विश्लेषणात्मक नजरिए से, माइक हकाबी का सुझाव राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील है। फिलहाल कोई भी मुस्लिम देश ऐसे किसी प्रस्ताव के समर्थन में सामने नहीं आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का बयान क्षेत्र में तनाव और बढ़ा सकता है।

नया सुझाव या नया विवाद?

माइक हकाबी का सुझाव अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई बहस को जन्म दे सकता है। जहाँ एक ओर कुछ इसे व्यावहारिक पहल मान सकते हैं, वहीं दूसरी ओर यह मुस्लिम देशों की संप्रभुता और कूटनीति पर सवाल खड़ा करता है।

अब देखना यह होगा कि अमेरिकी प्रशासन इस बयान से खुद को अलग करता है या इसे नीति के रूप में आगे बढ़ाता है।

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